Thursday, May 21, 2009

जिन्दगी में शामिल हों गये हों इस तरह मेरी..
की सास नहीं चलती अब तुम्हारी याद बीना..
बस डर है एक khud की किस्मत के कारन...
की कही खो ना दू तुम्हें भी सब लोगो की तरह...

नीता कोटेचा.

3 comments:

Unknown said...

बस डर है एक khud की किस्मत के कारन...
की कही खो ना दू तुम्हें भी सब लोगो की तरह...

good.....

BHARAT SUCHAK said...

बस डर है एक khud की किस्मत के कारन...
की कही खो ना दू तुम्हें भी सब लोगो की तरह

nitaben bahu sarash lakho cho

Sapana said...

Neetaben ,
agar voh nahi mera to kya,me to unki hu.
Sapana