Thursday, March 31, 2011

" स्वप्निल"

भगवान ने ये कैसी दुनिया बनाई है कि मानव उसकी मोह माया में से निकल ही नहीं सकता.. जिनके बच्चे होते है वो भी रोते है जिनके नहीं होते वो भी रोते हैं ....

"शादी के ८ साल होने को आये थे पर अमिता को बच्चा नहीं हों रहा था..अमिता और नीरव ने प्रेम विवाह किया था .अमिता मराठी और नीरव गुजराती था .नीरव के मम्मी पापा इस शादी से खुश नहीं थे.इसलिए नीरव ने शादी करके अपना अलग घर बसा लिया था................. अब तो सब के रिश्ते अच्छे हों गये थे फिर भी अभी तक नीरव साथ में रहने के लिए तैयार ना था.उसके दिल में एक दुःख था कि उसकी पसंद पर उसके मम्मी पापा ने शक किया था..और मम्मी पापा को लगता था कि नीरव उन्हें समझ नहीं पा रहा था..ये इसी नासमझी में ही वो अलग रहे ..शादी के ५ साल बाद एक बार जब नीरव के पापा को हृदयघात हुआ और अमिता ने उनकी जिस अपनेपन से सेवा की तब उन्हें अहसास हुआ कि अमिता भले अलग धर्म की थी पर ह्रदय तो उसका भी नाजुक ही था..फिर रिश्ते अच्छे हों गये पर नीरव साथ रहने के लिए कभी माना नहीं..आज जब डॉ. के से खबर मिली की अमिता माँ बनने वाली है तब वो बहुत खुश हुआ ,पर डॉ. ने ये भी कहा था कि अमिता की बड़ी उम्र और भारी शरीर के कारण उसे बहुत संभालना पडेगा..नहीं तो माँ और बच्चे दोनों के लिए ख़तरा है..
" उपरवाले का उपकार समझ कर उन्होंने बड़े ध्यान से दिन बिताने शुरू किये..इस बार नीरव की मम्मी खुद से आकर उनके साथ रहने लगी..और अमिता की देखभाल करने लगी..नीरव ये देखकर बहुत ख़ुश हुआ ..कभी कभी अमिता को हंसाने के लिए नीरव कहता "बेटी होगी या बेटा ? और हम
उनका नाम क्या रखेंगे..कुछ तो सोचो.." पर अमिता कांप उठती और कहती " नीरव अभी कुछ मत सोचो..जब जो होगा तब वो सोचेंगे.."और तीनो जन चुप से हों जाते..क्योकि डर सब के दिल में उतना ही था..
' सातवा महीना चल रहा था एक दिन अमिता की तबियत बहुत बिगड़ने लगी और उसे अस्पताल ले जाना पडा. उसे और उसके बेटे दोनों को बचा लिया गया..पर डॉ. ने नीरव को बुला कर कहा कि" भगवान् से प्रार्थना करो की बच्चा बच जाए..और दो महिने अच्छे से निकाल जाएँ ताकि बचा सुरक्षित जन्म ले सके .. " नीरव को चिंता ने घेर लिया..पर उसने अमिता को कुछ नहीं कहा.. नीरव का चहेरा देख के अमिता समझ गई कि बच्चे को कुछ ज्यादा ही तकलीफ है . एक दिन अमिता की तबियत कुछ ज्यादा बिगड़ी .पर उसने भी नीरव को परेशान करना ठीक ना समझा ..इसलिए वो भी चुप रही..ऐसे ही देखते -संभालते आठवा महीना लग गया. और अब बस बीस दिन निकालने बाकी थे..उतने निकल जाए तो भी अच्छा था..
"पर जो इंसान सोचता है वो तो होता नहीं.. उसे पाचवे दिन ही तकलीफ शुरू हों गई और तुरंत हॉस्पिटल ले जाना पडा..थोड़ी देर में डॉ. ने आकर कहा की बेटा हुआ है..पर बच्चे को कांच की पेटी(इन्कुबेटर ) में रखना पडेगा..क्योकि बच्चे की धड़कन बहुत धीमी चल रही थी. नीरव ने तुरंत बच्चे को दुसरे अस्पताल में भर्ती करवा दिया. उसी अस्पताल में एक कमरा अमिता के लिए ले लिया..ताकि वो भी बच्चे के करीब रह सके. एक दिन बीता , बड़े डॉ. को बुलाया गया.. दुसरा दिन बीता . और दुसरे बड़े डॉ. को बुलाया गया..बच्चे को देखने के बाद डॉ.कि आपस में बातचीत हुई और उन्होंने नीरव को बुलाया और कहा" बच्चा वेंटीलेटर पर ही है..हमारी तरफ से हमने कोई कसर बाकी नहीं रखी पर हमें कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही .. अब आप लोगो को तय करना है की वेंटीलेटर हटा दे या नहीं.."
' नीरव पर तो जैसे आसमान गिर गया.. वो अमिता को ये सब कैसे बताये , ये सोच कर परेशान था.. इतने सालो के बाद भगवान् ने बच्चा दिया और उसे मारने का निर्णय भी हमें ही करना है ,, आखिर उसने अमिता से ये बात कही ..अमिता संभाली नहीं जा रही थी..थोड़ी देर बाद नीरव ने तय किया की इस तरह से अपने बच्चे को परेशान नहीं कर सकता..वो डॉ.. को कहने के लिए खडा हुआ कि .. तभी अमिता ने उसका हाथ पकड़ कर कहा " नीरव, चलो हम अपने बच्चे का नाम तो रख ले..जिससे हम उसे कुछ नाम से याद कर सके.." अमीता की ये बात सुन कर अब नीरव टूट सा गया..और जोर से रो पडा..
' अब अमीता ने नीरव से कहा." नीरव रोने से कुछ नहीं होगा..हम हमेशा भगवान् से कहते थे की हमें बच्चा दो ,इसलिए उसने दे तो दिया..पर उसकी मृत्यु की जिमेद्दारी भी हमें ही दे दी..अब हम उससे कभी बच्चा नहीं मांगेगे..... हम उसका नाम" स्वप्निल" रखते है...... वो अपना सपना पूरा करने ही तो आया था.. भले चार दिन के लिए सही..... पर उसने हमें मम्मी पापा बनाया तो सही.."अब नीरव डॉ. के कमरे की तरफ जाने लगा तभी उसे पीछे से अमिता की और उसकी मम्मी की रोने की आवाज सुनाई दी...

नीता कोटेचा "नित्या"

7 comments:

रश्मि प्रभा... said...

aankhen bhar aai

Anonymous said...

कहानी का अंत मर्म स्पर्शी है ,,बहुत से युवा जोड़े ये तकलीफ झेलते है मगर इसके पीछे भी पोजिटिव सोच बन सकती है ये सोच ले तो तकलीफ थोड़ी कम हो जाए

Anju (Anu) Chaudhary said...

dil ko chu gayi kahani

Anita said...

ant bahut sunder ban pada hai...kaas har koi itna positive soch sake....

anita

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ufff!! .........itna dardnaak ant!!
kya neeta jee...!
waise ye baat manani paregi ki kathanak ek dum bandha hua hai...
aur ek saans me pura padh gaya...

nilam doshi said...

nice to read this story here..congratulations neeta..

nilam doshi

tarachand said...

I can't stop my tears