दिवाली क्या है ये उनसे क्यों पूछते हों जिनके घर भरे है..
उनसे पूछो जो मुश्किल से ये दिन ख़तम करते है..
उनसे पूछो जिनके घर नए कपड़ो की बौछारे नहीं होती ,
जिनके घर फटाके नहीं आते..
जिनके घरो में घी के दिए नहीं जलते..
क्योकि खाने को ही घी नहीं होता..
जिनके पापा घर पर देरी से आते है..
की बच्चो का सामना ना करना पड़े..
और बच्चे जल्दी सो जाते है जूठमुठ का ..
की मम्मी पापा को बुरा ना लगे..
जिनके घर में मिठाई नहीं आती..
जिनके घर पे ५० रुपिया का तोरण नहीं बंधता.
जिनके घर कोई आता भी नहीं ..
पर फिर भी सब एक दुसरे के साथ मुस्कराते है जैसे कुछ हुवा ही ना हों..
नीता कोटेचा
उनसे पूछो जो मुश्किल से ये दिन ख़तम करते है..
उनसे पूछो जिनके घर नए कपड़ो की बौछारे नहीं होती ,
जिनके घर फटाके नहीं आते..
जिनके घरो में घी के दिए नहीं जलते..
क्योकि खाने को ही घी नहीं होता..
जिनके पापा घर पर देरी से आते है..
की बच्चो का सामना ना करना पड़े..
और बच्चे जल्दी सो जाते है जूठमुठ का ..
की मम्मी पापा को बुरा ना लगे..
जिनके घर में मिठाई नहीं आती..
जिनके घर पे ५० रुपिया का तोरण नहीं बंधता.
जिनके घर कोई आता भी नहीं ..
पर फिर भी सब एक दुसरे के साथ मुस्कराते है जैसे कुछ हुवा ही ना हों..
नीता कोटेचा
3 comments:
नीता जी ,दिलवालो की दिवाली ऐसे ही मनाई जाती होगी
hello mam,I m Nikhil Mishra from pilibhit u.p.
Apki creation dekh kar mujhe bahut achchha laga.Bahut kam log hote hain, Jo duniya me kisi ke liye ek pal bhi sochte hain..mam mai apse baat karna karna chahta hu,mujhe bhi ish line me apna future banana hai.. plz,I hope ke aapka feedback aayega.. nikhilmishra2791@gmail.com & cell no. is 09045188566
Nice
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