Sunday, February 15, 2009

प्रेम मौन है ..अगर हल्ला हो तो वो प्रेम नही, शायद है दिखावा..

प्रेम लेना नही ..प्रेम देना है..अगर उसमे उम्मीद कि,तो ज्यादा टिकता नहीं ...

प्रेम में भूल जाना है दुनिया को..बस सिर्फ प्रेम करना है एक दूजे को..

गलती देखनी नहीं है दूजे की..ये प्रेम नहीं है
पर
गलतिया दिखती ही नहीं दूजे कि,
इसे ही सच्चा प्रेम कहेते है (मेरे विचारों से..)

नीता कोटेचा

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