आज अचानक ख्वाब , मे आये हुवे थे तुम . नजरो क सामने ही , बैठे हुवे थे तुम . क्या हुवा जो अचानक , छु लिया तुम्हें । आख खुल गई हमारी , क्यों नाराज हुवे थे तुम।
नीता कोटेचा
Friday, October 12, 2007
मरहम
दोस्ती हो गई है ,रिश्तों से बढकर.
आप हो हमारे लिए ,अपनों से बढकर लोगो ने ऐसे ऐसे ,धोखे दिए है क्या बताऊ