Thursday, June 4, 2009

जब भी देखती हु चारो और..
खुद को अकेला ही पाती हु...
कितने लोगो को अपना बनाया
और बसाया दिल में सब को..
पर कोई करीब नहीं...
कोई अपना नहीं..
जैसे हम पहेले भी अकेले थे
और
आज भी अकेले ही रह गए ...


नीता कोटेचा..

2 comments:

Sapana said...

wah,
jise apna samzte the,voh to kabhi apna tha hi nahi.
Sapana

Anu Shekhar said...

waao........dil ko cho si gai aapki shaayri.