Saturday, January 17, 2009

रुसवा

यु ही रुसवा होते चले गये दुनिया की नज़रो ,
में हम और तुम्हें ही पता न चला,
तुमसे महोब्बत थी जिसने हमें रुसवा किया॥
नीता कोटेचा

1 comment:

Unknown said...

ये तो कहो कभी इश्क़ किया है,
जग में हुए हो रुसवा भी...?
Pragnaju