Saturday, January 17, 2009

भरम

भरम जितना जल्दी टूट गया अच्छा हुवा,
नहीं तो मरते मरते भी
जान तुम में अटक जाती हमारी...
नीता कोटेचा

3 comments:

रश्मि प्रभा... said...

भ्रम का टूटना दुखद होता है,पर सुकून होता है
कि समय रहते बाहर निकल गए.....बहुत अच्छे भाव,जीवन के करीब

Unknown said...

भरम पाला था मैने प्यार दो तो प्यार मिलता है ।
यहाँ मतलब के सब मारे न सच्चा यार मिलता है ।

थोड़ा सा भरम प्यार का रहने देना।
रिश्ता कोई दरों दीवार का रहने देना।
जो तहजीबो तमद्दन का पता देबिखरा ।
हुआ मालबा परिवार का रहने देना।
pragnaju

વિવેક said...

સુંદર વાત...