Saturday, December 8, 2007

खवाब
आज अचानक खवाब आए हुए थे तुम
नज़रों के सामने ही बैठे हुवे थे तुम
क्या हुवा जो अचानक छु लिया तुम्हें
आख खुल गई हमारी
क्यों नाराज हुवे थे तुम...


नीता कोटेचा




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