Wednesday, May 28, 2008

बदनाम
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इस
तरह से दुनिया ने सताया है मुजे
की
अपना बनाके बहोत रुलाया है मुजे
क्या करे किस्मत ही ऐसी पाई है की
बेगानो ने नही पर
अपनों ने ही बदनाम किया है मुजे

नीता कोटेचा

4 comments:

Anonymous said...

दुनियाका काम है सताना , तुम क्यों उससे परेशान होती हो.
येही तो वो लोग चाहते है. ऊसे नाराज होने दो.
सुना अनसुना कर दो. देखा न देखा कर दो.
फिर देखो काली का इक्का तुम्हारे हाथमें है.
जय श्री कृष्ण


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Anonymous said...

રીડ.ગુજ.,લયસ્તરો કે એસ.વી જેવું સરળ બનાવો તો અમારા જેવા સરળતાથી લખી શકે!
સારો પ્રયાસ છે.
किस्मतसे शिकायत!
शायद्
स्नेह का वह कण तरल था,
मधु न था, न सुधा-गरल था,
क्षण भी,समझ तुमको न पाया!
था तुम्हें मैं ने रु ला या!
प्रज्ञाजु व्यास्

Unknown said...

જમાનેકા કામ હી હૈ બદનામ કરનેકા
લેકિન જો સુનતે હૈ ઉસે બદનામી કા ડર રહતા હૈ
જબ હમ સચ્ચે હૈ તો જમાનેકો સુનના હી ક્યોં??????????

Amit K Sagar said...

khubsurat koshish. likhte rahiye. achha likh rahe hain. shukriya.
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ulta teer