Tuesday, May 27, 2008

जिदगी का पता नही
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कोई अपना बनता है दिलो जा से ज्यादा कभी ,
कोई अपना, बेगाना बनता है दुश्मनों से भी ज्यादा कभी,
क्या करे ये जिदगी का पता नही चलता
कोई अपना आसु देता है
और
बेगाने प्यार करते है अपनो से भी ज्यादा कभी .
नीता कोटेचा

1 comment:

Anonymous said...

वाह्
किसीने कहा है
जिनकी याद में हम दीवाने हो गये,
वो हम ही से बेगाने हो गये.
शायद उन्हे तलाश है अब नये प्यार की,
क्यूंकी उनकी नज़र में हम पुराने हो गये?
प्रज्ञाजु व्यास्