Tuesday, May 19, 2009

हवा की खुशबु में भी उनकी खुशबु मुजे महेसुस हो रही है दोस्तों..
चलो अब आंधी आये तो भी खुश हु क्योकि उनको ज्यादा महेसुस कर सकुंगी ..

नीता कोटेचा

1 comment:

Anonymous said...

ur small poems are nice. dil ki baten utaar di hai apne.