चंचल बच्ची थी कभी मै...
और आज वो बचपन खो गया है
लोगो को अपना बनाने में मैंने
खुद को ही खो दिया है..
ना खुदा के करीब हो सकी ना खुद के करीब..
यु ही मुजमे मैंने खुद को खो दिया है...
और फिर भी अपना ना बना कोई...
नीता कोटेचा..
और आज वो बचपन खो गया है
लोगो को अपना बनाने में मैंने
खुद को ही खो दिया है..
ना खुदा के करीब हो सकी ना खुद के करीब..
यु ही मुजमे मैंने खुद को खो दिया है...
और फिर भी अपना ना बना कोई...
नीता कोटेचा..
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