Wednesday, March 7, 2012

तुम्हारी दुआओं से भी अब मैं तुम्हें ना मिलूं
जा तू कितना भी धुंदी मैं तुम्हें ना मिलूं

बेकदर शख्स को मोहब्बत सौंपी मैंने
तू तड़प जाये मेरी मोहब्बत को और मैं ना मिलूं

तुम्हारी एक एक साँस पर अपना नाम लिखा था मैंने
तू इन्हें मिटाना चाहे तो भी अब ना मिटून मैं ...

तू पुकारे हाय, आ भी जाओ अब मेरी ज़िन्दगी में दोबारा
बस तभी मेरी सांसें ख़त्म हों ...और मैं ना मिलूं ....!!!

~नीता कोटेचा (Concept)
~कशिश खान (Translated in Urdu)

1 comment:

प्यार की कहानी said...

Ek Achhi Kavya Rachna Ka Jikra Aapke Dwara. Thank You.