कहते है के वक़्त ही जख्मो को कम
करता है,
पर – वक़्त ही नए ज़ख्म देता हों तो ?
कहते है की खुश रहने से दुःख कम होते है
पर खुश रहने का कारन ही ना हों तो ?
कहते है बुरे वक़्त में अपनों का साथ शुकून देता है,
पर – अपनों को ही हमारे बुरे वक़्त का पता ना हों तो ?
कहते है प्रेम देने से प्रेम मिलता है ,
पर – प्रेम दे कर भी प्रेम ना मिल पाए तो ?
मैंने सुना है की दुःख बाटने से कम होता है
और
सुख बाटने से बढ़ता है …
अरे दोस्तों पर मैंने तो इसका विपरीत ही देखा , समझा और जाना है …
नीता कोटेचा
करता है,
पर – वक़्त ही नए ज़ख्म देता हों तो ?
कहते है की खुश रहने से दुःख कम होते है
पर खुश रहने का कारन ही ना हों तो ?
कहते है बुरे वक़्त में अपनों का साथ शुकून देता है,
पर – अपनों को ही हमारे बुरे वक़्त का पता ना हों तो ?
कहते है प्रेम देने से प्रेम मिलता है ,
पर – प्रेम दे कर भी प्रेम ना मिल पाए तो ?
मैंने सुना है की दुःख बाटने से कम होता है
और
सुख बाटने से बढ़ता है …
अरे दोस्तों पर मैंने तो इसका विपरीत ही देखा , समझा और जाना है …
नीता कोटेचा
4 comments:
confusion hi confusion hai..magar sach bhi hai..kai bar hum ye sab samajh nahi pate.. koi nishchit paimana nahi hota.....badalti stithiyon mei bate aur cheezein badalti bhi hain...
सब सही और सत्य लेकिन आज के वक्त में आपका "मैंने तो इसका विपरीत ही देखा, समझा और जाना है" यही कथन सच है
दर्द की तो हमें आदत पड़ा गई,
बेदर्दो के साथ वास्ता है जो....
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