Monday, May 2, 2011

तुम्हारे लिए
















तुम्हारे लिए
कितने अश्क बहाए तेरे लिए.
तुम तो मुझे भी भूल गये हों उम्र भर के लिए...
काश तुम्हारा दिल पहले जैसा होता..
तो आज हम भी मुस्कराते जिंदगी के लिए..
कभी सोचती हु क्या तुम हों इतने प्यार के हक़दार
पर फिर सोचती हुं मै तो हुं ना सिर्फ प्यार देने के लिए..
जाओ अब तुमसे कभी फ़रियाद ना करेंगे
और ना कभी तुम्हारे दर पे प्यार मांगने आयेंगे..
तुम जितना चाहे बदल जाओ ,
आ जाना जब जरुरत पड़े हमारी कभी जिंदगी में..






नीता कोटेचा

4 comments:

Agantuk said...

ઘણાં વખતે આપની સાથે મુલાકત થઈ
જુના સંસ્મરણો યાદ આવ્યા - તમને યાદ આવ્યાં?

Girish Kumar Billore said...

तुम्हारे लिए
कितने अश्क बहाए तेरे लिए.
तुम तो मुझे भी भूल गये हों उम्र भर के लिए...
काश तुम्हारा दिल पहले जैसा होता..
तो आज हम भी मुस्कराते जिंदगी के लिए..
कभी सोचती भी हूं
कभी कभी
क्या तुम हो
पावन प्यार के हक़दार
पर फिर सोचती हूं
मै तो हूं
मैं बनी हूं
देने तुमको प्यार
जाओ
अब तुमसे कभी न करूंगी फ़रियाद
न कभी करूंगी तुमको याद
आ जाना जब जरुरत पड़े
हमारी कभी जिंदगी में

Anonymous said...

Touch to heart..

No name said...

aap ki lekh oe kavita maine read kiya jo mere dil ko tuch kar gayi
i,realy heart me for u poem and lekh