नाराज़ होते है तो बुलाता कोई नहीं..
चले जाते है तो आवाज़ देता कोई नहीं..जिंदगी के मायने कितने बदल गये है अब,
कभी हमारी एक आवाज़ को तरसते थे लोग ,
अब तो चुप रहते है तो पुकारता कोई नहीं..
नीता कोटेचा.
1 comment:
Ab to chup rahte hain koi pukaarta nahi
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