ये मेरी ख़ुद की लिखी हुई शायरी है ..मेरे दिल की बात
Monday, November 21, 2011
बेवकुफों की तरह इंसानों के पास हम उम्मीद रखते है, मर्ज़ी ना हों तो उपर वाला भी हमें कहा प्यार देता है...
नीता कोटेचा
Thursday, November 17, 2011
क्या करोगे ऐसी खूबसूरती का जिन्हें चाहने वाले हम ना होंगे, क्या करोगे ऐसी जिंदगी का जहा साथ देने वाले हम ना होंगे.. मुड़ के लौट आओ वापस हमारे पास, मुस्कराओगे कैसे गर हसाने वाले हम ना होंगे.. नीता कोटेचा..