Friday, July 29, 2011

नाराज़ होते है तो बुलाता कोई नहीं..
चले जाते है तो आवाज़ देता कोई नहीं..
जिंदगी के मायने कितने बदल गये है अब,
कभी हमारी एक आवाज़ को तरसते थे लोग ,
अब तो चुप रहते है तो पुकारता कोई नहीं..

नीता कोटेचा.

Thursday, July 28, 2011

ख़्वाब पर तो किसी का ना हक है ना काबू,
देखो हमने तुम्हें वही देखा और प्यार कर लिया

नीता कोटेचा
समंदर से कह दो कि अपनी लहरों को संभाल के रखे..

फिर शिकायत ना करे ,
क्योकि हम अपने आप में बहुत तुफ्फां छिपा रखे है

नीता कोटेचा