Thursday, May 21, 2009

आज भी माँ मुजे डाटती है...
अगर आज भी मै गलत दोस्तों के साथ बात करू मुजे वो उसकी नजरो से डाटती है..
आज भी अगर मै घर में कुछ बोलू वो मुजे बाजु में बिठाकर डाटती है..
आज भी अगर मै मेरे बच्चो को गुस्सा करू , तो मुजे मेरा बचपन याद दिलाकर डाटती है..
कुछ होता है अजीब अगर जिन्दगी में ..मै आज भी चली जाती हु उसके पास..
पता है पहेले डाट पड़ेगी..पर फिर मिलेगा दुलार..
बस माँ ये डाट मेरे पर कायम रखना..
तभी मै सही जिन्दगी जी पाती हु..

नीता कोटेचा
जिन्दगी में शामिल हों गये हों इस तरह मेरी..
की सास नहीं चलती अब तुम्हारी याद बीना..
बस डर है एक khud की किस्मत के कारन...
की कही खो ना दू तुम्हें भी सब लोगो की तरह...

नीता कोटेचा.
ये वो ही जगह है , जहा हम जुदा हुवे थे...
तुम तब भी बहोत खुश थे..
तुम आज भी बहोत खुश हों..

नीता कोटेचा..
अरे तेरे नाम से मेरी सास चल रही है ..मैंने कभी ऐसा भी सोचा था..
देखो तुमसे बिछडे हुवे बरसो बीत गये, हम आज भी जिंदा है ....

नीता कोटेचा...
मुझे भूल सको तो बहोत अच्छा..
पर ना भूल सको तो कहेना मुजे,
बेवफा बनके मै मदद करुँगी तुम्हारी...

नीता कोटेचा..
कोई यहाँ मिलता है..और कोई bichad जाता है...
कोई यहाँ सच्चा है और कोई यहाँ जूठा है...
पता नहीं चलता की लोगो को प्यार करे की नहीं...
क्योकि कोई यहाँ अपना है कोई पराया है....

नीता कोटेचा...
आखिर सबसे ज्यादा रिश्ते ही दर्द देते है..क्योकि वो रिश्ते है ना...
और उससे ये दिल बहोत उदास होता है..क्योकि वो हमारा दिल है ना.
एक बार टूटे तो हम जोड़ने का भी प्रयत्न नहीं करते...
क्योकि वो हम है ना..

नीता कोटेचा...
प्यार आख का आंसू है ..
और प्यार दिल की धड़कन है...
पर प्यार मत करो दोस्तों, किसी से दुनिया में ..
क्योकि
प्यार ही धीमा जहेर है...

नीता कोटेचा
प्यार ने बहोत रुलाया दोस्तों ..
और प्यार ने बहोत तरसाया दोस्तों ...
अब ना चाहिए किसीका प्यार हमें दोस्तों ...
क्योकि प्यार ने बहोत कुछ सिखाया दोस्तों...

नीता कोटेचा..
कभी जब दोस्तों से धोखा मिलता है हम समजते है की हमने लोगो को पहेचाना नहीं..
पर ऐसा नहीं ..सही बात ये है की हमने खुद को ही पहेचाना नहीं...

नीता कोटेचा
रास्ते वो है..अहेसास वो है..याद वो है आज भी ताजा..
बस तू नहीं कही...और अब तो हमें तुम्हारी तलाश भी नहीं ...
बस तुम्हारी यादे ही काफी है ...हमें जीवन बिताने के लिए..

नीता कोटेचा..
जहा देखती हु तुम ही तुम नजर आते हों...
कैसे हों तुम की बेवफा हों कर भी दिल से दूर नहीं हों..

नीता कोटेचा..
वो हमें करते है प्यार बहोत ..पर जब उनको समय हों तब...
और
हम प्यार करते है उनको इतना...
जब जब हम सास लेते है...
और हर पल.
बस उनको पाना चाहते है..

नीता कोटेचा..
अफसाने बने या ना बने मेरे जाने के बाद भी...
पर हम तो तुम्हारे दिल में थे
और
हमेशा रहेंगे हमारे के जाने के बाद भी...

नीता कोटेचा..
तुमसे दूर होने का अहेसास कर पाना अब तो मुश्किल है...
इससे अच्छा है की हम मौत की गोद में सो जाए..

नीता कोटेचा.
TO JEET, ANNU, NIRU...RASHMIJI , ANNURADHA,KAVITA, DAISY ..AUR BAHOT SARE DOSTO KE LIYE...

कभी कभी कोई संत महात्माओ की बड़ी बड़ी बातें हमारी समझ के बाहर होती है . पर एक दोस्त का समझाना जिन्दगी जीने का तरीका बदल देता है .

नीता कोटेचा..
firoz kahan abhi ye soch rahe honge...

मरने के बाद ही लोगो ने मुझे याद किया..
नहीं तो कोई तस्वीर भी देखता नहीं था हमारी बहोत अरसे से...

नीता कोटेचा..
दोस्ती कैसे निभाई जाये कोई हमसे पूछे..
दिलो जान से चाहना किसे कहेते है कोई हमसे पूछे..
इंतजार में गंतो दिन महीनो ही नहीं..
पर जन्मो तक कैसे इंतजार किया जाये कोई हमसे पूछे...

नीता कोटेचा..
अचानक कोई सामने से आके हस देता है..ना जान ना पहेचान...अचानक कभी कोई मदद कर देता है...जब हम कोई टिकिट की बड़ी सी लम्बी कतार में खड़े हों और अचानक कोई आ कर कहे हमें, की मैंने ये कूपन लिया है ज्यादा है क्या आपको चाहिए... कभी कोए आ कर कहेता है की मुझे ऐसा क्यों लगता है की मैंने आपको कही देखा हुवा ऐसा महेसुस होता है...और हमारे दिल के तार भी हिल जाते है॥कभी कुछ काम कर रहे हों तो ऐसा होता है की ये काम हमने पहेले भी तो किया हुवा है...कभी कोई ऐसी जगह पे जहा हम जाते है जहा पहेली ही बार गये हों पर ऐसा लगता है मै याहा आ गई हु पहेले ... पहेले नेट का कोई विश्व था ऐसा हमें पता नहीं था..पर अब ऑनलाइन हमारे बहोत सारे दोस्त है..ऑरकुट में लाखो लोग है..हम क्यों उसमे से १०० को अपना बनाते है..और उसमे से भी क्यों हम सिर्फ १० से महोब्बात करने लगते है...उसके दुःख से हम दुखी होते है..और उसके सुख से हम सुखी होते है..क्यों एक ही के घर में रह रहे लोग एक दुसरे से बहोत दूर होते है और बहोत दूर रहेने वाले लोग दिल के करीब होते है.. क्या आपको इससे सवाल नहीं होते दिल में ऐसा क्यों होता है हमारे साथ ??
क्यों कभी कोई अपना लगने लगता है..क्यों कभी कोई अपना लगने लगता है..और कोई पराया..क्या इसमें कही कोई जन्म की लेनदेन बाकि रह गई होती है...मै ये मानती हु की हा ऐसा ही है..हमारा अगर किसी जनम का लेनदेन बाकी हों तो ही हम एक दुसरे के सामने मुस्करा लेते है...नहीं तो मुस्कराना भी मुश्किल होता है..तो मै मानती हु की हा कुछ है जिसे हम पुनर्जनम कह सकते है...क्या आप मानते है??
दर्द तो हर दिल में छुपा होता है...

बस इतना समज लो...सब अपनी खामोशियों को समज लेंगे..

नीता कोटेचा


तेरी याद आज आसु बनके आखों से गिरी...

तब पता चला की,

तुम दिल में हों

आखों में हों

मन में हो

और

रोम रोम में हो ..


नीता कोटेचा
यु इंतजार करते हुवे ज़माना बीत गया...
अब तो आ जाओ सास निकलनेकी देर है..

नीता कोटेचा.
स्त्री ?? ये कौन से प्राणी का नाम है..हा वही ना जो अपना निर्णय भी खुद ले नहीं सकती...वो ही ना जो अपने वजूद के लिए लड़ भी नहीं सकती...और वो ही ना जो ये आजाद देश की गुलाम है...हा इसे तो कही देखा है..घर के कपडे धोते हुवे...४० सल् शादी को हो जाये फिर भी मईके के नाम से गाली खाते हुवे...उसे कहा शर्म और अपनी इज्जत की कुछ रक्षा करनी आती ही है..वो दुसरो के सामने सर उठाकर जीती है ..पर अपने ही .घर वालो के सामने सर जुकाकर जीती है..रोज उसकी वासना का शिकार बनती है रोज सास की गलिया खाती है...पर फिर भी उसीके साथ जीती है...क्योकि माता पिता तो रखेंगे नहीं और यहाँ भी उसका .घर थोडी है ये तो ये सास का है या पति का..उसका तो कुछ भी नहीं..ना बच्चों के पीछे उसका नाम लगता है..
पर अपना भारत देश महान है यहाँ तो सती सावित्री ने जनम लिया था..और सब पतियों को सावित्री ही चाहिए..और सावित्री बनने की कोशिष में वो अपना आखरी सास ले के मर jati है..बात ख़तम स्त्री नाम के प्राणी की...
एक फुल काफी है जिंदा औरत को सजाने के लिए ...
हजारो फुल कम है एक मैयत को सजाने के लिए...

नीता कोटेचा..
अब ना करेंगे तुम्हें मनाने की कोशिष..
क्योकि अब हमें भी थोडी देर रूठना है....


नीता कोटेचा..
कोई शिकायत नहीं जिन्दगी से..
बस ये तो बातो बातो में कुछ दर्द बया हो गया जुबा से..

नीता कोटेचा..
जिनके जरिये हम तुम्हें मिले वो जरिया ही टूट गया ..
और जिनको महोब्बत दिल से की वो दिल ही टूट गया...

नीता कोटेचा..
अगर तुम पास होते हम कस लेते अपनी बाहों में ..
.ऐसे जैसे एक बच्चा चूम लेता है माँ के वक्ष को. .
और एक प्रेयसी छुपा लेती है अपना मूह अपनी प्रेमी की छाती में..
और
एक दोस्त जो अपना गम छुपाने छुप जाता है अपने दोस्त की आगोश में...

नीता कोटेचा.
तुम्हारी सासों में..मेरे सासों की खुशबु आने लगे समजना की हम वही कही है...

नीता कोटेचा..

Tuesday, May 19, 2009

यु ही मुस्कराते हुवे उनसे मुलाक़ात हुई थी ..
आज तो जुदा हो गये है उनसे..
आज भी है मुस्कराहट पर सिर्फ उनके चहेरे पर..

नीता कोटेचा
चलो और एक दोस्त मिल गया जिसने हमसे बेवफाई की और हमें ही बेवफा कह दिया...

नीता कोटेचा..
कोई शिकायत नहीं जिन्दगी से..
बस ये तो बातो बातो में कुछ दर्द बया हो गया जुबा से..

नीता कोटेचा..
हवा की खुशबु में भी उनकी खुशबु मुजे महेसुस हो रही है दोस्तों..
चलो अब आंधी आये तो भी खुश हु क्योकि उनको ज्यादा महेसुस कर सकुंगी ..

नीता कोटेचा
जिसे दिल हमने दिया वो खुद ही पत्थर थे ..
ना उन्हें पता था दीवानापन क्या होता है..प्यार में ..

नीता कोटेचा
वफ़ा की बाते अब ख्वाब सी लगती है...
यहाँ तो प्यार का शब्द सुने ज़माना बीत गया..

नीता कोटेचा.
हम किसी अपने को दूर करने की कोशिष करते है ..
उसका ये मतलब है की खुद से ही बेवफाई करते है...

नीता कोटेचा
अगर कोई अपना बनना न चाहे तो उस जबरदस्ती मत करो...
वो प्यार का कोई मतलब नहीं रहेता...

नीता कोटेचा..
कांटे चुभते है ..तभी तो फूलो का स्पर्श सुखद लगता है ..
नहीं तो कौन यहाँ दिल वालो की कदर करता है...

नीताकोटेचा
ये हार है या जीत है...
हम भी तय न कर सके..
क्योकि वो पास थे तब भी दूर थे..
और
आज वो दूर है फिर भी पास है...

नीताकोटेचा
खुली किताब हो जिन्दगी की दोस्तों के सामने तो अच्छी लगती है..
नहीं तो अँधेरे में ही दोस्त भटकते रहेते है...

नीताकोटेचा
अरे मै कैसे दू दर्द तुम्हें...
मुझे मेरे दर्द का अहेसास है...
दर्द मै दे नहीं शक्ती किसीको भी ..
मुझे तो दर्द सबका बटोरना आता है..

एक माँ
ना नाम चाहिए
ना पहेचान..
ना दिल में बसाना किसीको,
और बसना किसीके दिल में...
दर्द देते है ये रिश्ते बहुत...
ना मुझे अब कोई अपना चाहिए...

नीता कोटेचा
चंचल बच्ची थी कभी मै...
और आज वो बचपन खो गया है
लोगो को अपना बनाने में मैंने
खुद को ही खो दिया है..
ना खुदा के करीब हो सकी ना खुद के करीब..
यु ही मुजमे मैंने खुद को खो दिया है...
और फिर भी अपना ना बना कोई...

नीता कोटेचा..
जिस जिस से वफ़ा करोगे
वो ही धोखा देंगे
ये उसूल है दुनिया का.
और
महफ़िल में सुनाते अगर दिल की बाते
तो वहा भी कोई नहीं रोता...
अब लोगो के दिल पत्थर बन गये है..

नीता कोटेचा.
हमें एक बार अपना मान के देखो..
मुझे , खुद में पाओगे..
इतनी हम दोस्ती निभाना जानते है..

नीताकोटेचा
आइना देखने की जरुरत क्या है दोस्त मुझे तेरी तस्वीर के लिए..
मै तुम्हें, खुद में महेसुस करती हु अब तो..

नीता कोटेचा.
उन्हें ही पता नहीं हम चाहते है उनको कितना.
और हम उन्हें चाहने में दुनिया भुला बैठे..

नीता कोटेचा..
जब दुखो की तीखी धुप तेज बरसती हो,
जिदगी जीने का अहेसास मर जाता है..

नीताकोटेचा
प्यार में अगर वो जीते तो हम उनकी दोस्ती से भरपूर होंगे...
और अगर हम हारे तो हमारे प्यार को वो तरसेंगे...
अगर हम जीते तो उनकी हार होने न देंगे...
और अगर वो हारे तो उनको हम सजा के रखेंगे हमारे दिल में...
प्यार में ना हार होती है न जित..
YE तो वो खजाना है जो देने से बढ़ता है ..
तो कोई दे चाहे ना दे बस सब को प्यार देते चेलो...

नीता कोटेचा..
कोई हमारे लिए आसु बहाता नहीं ,
कोई हमारे लिए मुस्कराता नहीं..
YE दुनिया है मतलबी दोस्त.
यहाँ कोई अपना बनता नहीं..

नीता कोटेचा
इस तरह खामोश रह कर बिताई है जिन्दगी मैंने..
की मेरी धडकनों को भी पता नहीं, दिल रो रहा है..

नीता कोटेचा
न हों जज्बात काबू में तो दुनिया डुबोती है..
गर रखे खुद क काबू में तो जिन्दगी जीने कहा देती है...

नीता कोटेचा.
शिकायत करनी न आई तो लोगो ने समजा दर्द नहीं है..
और आसु में हम खुद को डुबोते चले गये..
naa उन्हें पता चला की हम तड़पते है उनके लिए ...
और naa हमने बताना जरुरी समजा..
क्यों khuch बोलके बताये की ,कितना प्यार है हमें तुमसे..
हमारे जनाजे पे आके देख लेना..
वहा भी तुम्हें हमारे प्यार का अहेसास मिल ही जायेगा..

नीता कोटेचा.
हामारे दिल में बसते गये लोग..और हम बसाते गये..
एक एक करके दिल तोड़ते गये..और हम बीना कुछ कहे टूटते गये..

नीता कोटेचा..
यु तो ज़िन्दगी गुजर रही थी अपनों के सहारे..
पर अब तो बीतती है सब की दुआ के सहारे.
अब तक तो साथ था बहोत लोगो का मुझे.
पर अब तो साथ है अपनों का मुझे..
अब तक के रिश्ते थे नाम मात्र के..
पर अब लोगो ने दिल में बसाया है मुझे..

नीता कोटेचा
काश के आज तुम करीब होते और काश के हम साथ में होली मनाते ..
थोडा गम कम होता..
किसीके खोने का अहेसास कम होता..
और वो उनका रूठना और हमारा मनाना ..
याद थोडी कम आती ...
चलो हम आज फिर अकेले है..
उनकी यादो के सहारे है..
पर अगले साल ए दोस्त ये गम कम करने मेरे करीब ही रहेना..

नीता कोटेचा
हम वो नहीं जो दोस्ती करके अकेले छोड़ दे.
हम वो नहीं जो यारो को तडपाये...
हम वो है जो यारो को दिम में सजा के रखे...
और अपने प्यार से उसके सब गम भुला दे...

नीता कोटेचा..

Saturday, May 9, 2009

ओह मम्मी मुजे माफ़ कर देना..

एक बार तुम रो रही थी...
क्योकि मैंने तुम्हें जोर से कुछ कह दिया था..
पर तुम तो अपना अपना काम करते करते चुपचाप रो रही थी...
मुजे पता भी चलने नहीं दिया था...
और अचानक मै आई वहा पानी पिने..
तो देखा तो तुम्हारी आखों से अश्रु बहे जा रहे थे..
मैंने पूछा मम्मी क्यों रो रही हों??
तो तुमने कहा , नीता अगर मेरा बच्चा मुजे जोर से कुछ कहेगा तो कैसे सहु ??
मुजे बहोत दुःख हुवा की मैंने मम्मी को रुलाया..
मै उसके गले लग गई और कहा अरे मुजे डाट दिया होता..
तो मम्मी ने सिर पे हाथ घुमाते हुवे कहा.. मै जोर से तुम्हें कुछ कहेती तो क्या तुम्हें दुःख नहीं होता..
ओह मम्मी मुजे माफ़ कर देना..
मै आज भी वो दिन याद करके रो पड़ती हु...

नीता कोटेचा..