Friday, January 30, 2009

पता न चला

यु ही दिल के साथ गुफ्तगू में रात कहा बीत गई पता न चला ..
हम ढूंढ़ते ही रह गये उनकों, और उन्हें पता न चला..

कितना इंतजार किया उनकी गली में खड़े हो कर..
वो पास से गुजर गये और हमारा उन्हें पता ही न चला.

वो कहेते है की हमें उनकी याद न आती है कभी..
पर उनकी याद में हम रोज मरे ,और उनको ये मालूम भी न पडा.

चलो अब तो शिकायत ही करनी छोड़ दी है ..
क्योकि हम महोब्बत करते है उनको ,ये ही उनको पता न चला..

नीता कोटेचा.

Sunday, January 25, 2009




माँ के पल्लू में जो शुकुन मिलता है उसका अनुभव क्या होता है ..वो वो बच्चा ही बता सकता है..
और माँ के पल्लू को तार तार होने से बचाने में जो शुकून मिलता है वो अनुभव वो जवानो से पूछो जो ये भारत माता को संभालते है...वो पल्लू पे किसी बुरे आदमी का पैर न पड़े ..वो पल्लू में कही किसी अपने ही बेटे के खून का धब्बा न लगे ये सब बातो का ध्यान वो जवान करते है...बहोत लोगो के मुह से सूना है की कहा अब वो सोने की चिड़िया और कहा अब वो भगतसिंग जैसे जवान...मुझे बहोत दुःख होता है ये सुनकर की लोगो को सिर्फ बाते करनी आती है...२ आतंक वादी ओ के लिए क्यों कोई सादा इन्सान न गया??...क्यों जवान को ही बुलाना पडा था...हम अपने बच्चो को रास्ता पार करने नहीं देते अकेले..वो माँ के बारे में सोचो जो अपने बच्चो को हसी ख़ुशी सरहद पे भेजती है..की जा बेटा मर जाना पर भारत माता की लाज रखना...लोग कहेते है की सबसे बुरा भारत देश है..पर मै जब लोगो से बात करती हु तो पता चलता है की कितनी परेशानी होती है बाहारगाव के देशो से...
माना बुराईया अपने देश में है..पर सब लोग तो अच्छे नहीं ही होंगे...
अपने देश के बारे में बुराईया करने से पहेले एक बार नहीं सौ बार सोचो.
फिर ही हमें हक्क है कुछ बोलनेका .

--

Thursday, January 22, 2009

यादो की गली

आज अचानक अपनी यादो की गली से गुजरना हुवा था..
पर देखा तो शहर की तरह उसके रस्ते भी बहोत बदल गये थे...
अपनी यादो का तो कोई ठिकाना ही नहीं था..
और न तुम्हारा..
बस मै तो वहा अकेली थी जिसे मै पहेचानती थी..
फिर मैंने सोचा की वापस खो जाऊ ये गलियों में.
इससे अच्छा है की रास्ता ही बदल लू...
और मैंने रास्ता बदल लिया ..
एक टीस जरुर है,
पर,
उतनी नहीं जीतनी तुम पास होते और मेरे न होते ये देखने से होती...

नीता कोटेचा

Saturday, January 17, 2009

भरम

भरम जितना जल्दी टूट गया अच्छा हुवा,
नहीं तो मरते मरते भी
जान तुम में अटक जाती हमारी...
नीता कोटेचा

रुसवा

यु ही रुसवा होते चले गये दुनिया की नज़रो ,
में हम और तुम्हें ही पता न चला,
तुमसे महोब्बत थी जिसने हमें रुसवा किया॥
नीता कोटेचा

जनाज़ा

यु ही मुस्कराते हुवे जब जनाज़ा उठाया तुमने मेरा..
तो मूह फेर के थोडा एक नज़र भर देखा लिया तुम्हें...
तुम आज भी उतने ही खुबसूरत लग रहे थे.
जब मुझे प्यार करते वक्त मुस्कराते थे..

नीता कोटेचा

Monday, January 12, 2009

एक दोस्त ने msg भेजा..

जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने होते हैं..

कुछ अपने कुछ बेगाने होते हैं.
प्यार से सवर जाती है जिंदगी..

बस प्यार से रिश्ते निभाने होते है..

...
मैंने जवाब दिया.

ज़िन्दगी अगर खुली किताब हो तो मजा आता है..
सब सिर्फ अपने, ना कोई पराया हो..तो मजा आता है...
प्यार से नहीं दिल से निभानी होती है जिन्दगी
और
प्यार से नहीं, भरोसे से ही नभ जाते है रिश्ते
नीता





Friday, January 9, 2009

तुम्हें इतना तो याद है

हमने सोचा की तुम भूल गये हो मुझे..
पर बहोत सालो बाद मुलाकात हुई तो तुमने पूछा ..
"हमारी दोस्ती कैसे टूटी थी ज़रा मुझे यादा दिलाना..
हम भूल गये है वो कारण.."
मैंने कहा अरे छोडो वो कारण ..तुम्हें इतना तो याद है की हम भी कभी दोस्त थे..
वो ही काफी है बाकी जिन्दगी जीने के लिए

नीता कोटेचा

Wednesday, January 7, 2009

दोस्त सब गम भुला देते है,

जो तकदीर ने अपने हाथो से लिखे है..

और
जिन्दगी हमें चाहे महोब्बत न करे..
हमने तो मौत को भी दिल देके रखा है..

नीता कोटेचा

Monday, January 5, 2009

सबको गले लगा करा हम जिए है।
सबको अपना बनाके हम जिए है ।
पता नहीं तकदीर क्यों मूह मोड लेती है।
अचानक की
सब अपने होते है फिर भी हम अकेले जिए है॥

नीता कोटेचा
डर लगता है कही कोई दोस्त दूर ना हो जाए वापस.
और भरी दुनिया में हम अकेले न हो जाए वापस.
.ये दुनिया बड़ी है जालिम ए दोस्त ..
इसीलिए सोचती हु की,
जो नजदीक है वो भी दूर न हो जाए वापस --

नीता कोटेचा