Tuesday, March 3, 2009

मुजमे मै समाया हुवा हु ,
पर खुद को ही कभी मिलता नहीं मै..
यादो की दस्तक और इंतजार की दस्तक ,
उसी में मै ढूंढ़ता हु खुद को ...


नीता कोटेचा

2 comments:

रश्मि प्रभा... said...

bahut badhiyaa

Unknown said...

aam jo jaldi aapane aapan ne mali shakiye to sant thai na jaiye?