Tuesday, December 25, 2007

हमसे नफरत होने लगी है।
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जीने कि हसरत मरने लगी है
अपनो से दुरी बढ़ने लगी है
चलो शायद वो सहे सके
मेरी जुदाई को ,इसीलिए
सबको ही हमसे नफरत होने लगी है।

नीता कोटेचा
सास
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इस तरह तेरी जिदगी मी शामिल होना था मुजे
कि
तू सास ले और तुजे मेरी याद आये।
पर
इस तरह से तुने भुला दिया मुजे कि

एक एक सास पे अब मई
तुम्हें याद करके मरती हू।

नीता कोटेचा
गम पा लिया
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यू ही रुसवा हुवे हम सब को महोब्बत करके
हमने तो जिंदगी भर का गम पा लिया ।

नीता कोटेचा
दिल से खेलनेवाले ऐसे दोस्त और भी मिल गये

कि और एक बार अफ़सोस हो गया कि क्यों जीते है हम.

Sunday, December 16, 2007

कोई अपना बनता नही ,
अपना बनाने से।
कोई हमे चाहता नही,
हमारे चाहेने से।
दिल थोडा सोचना
बंध कर अब।
कोई दीवाना बनता नही,
तुम्हारे दीवाने बनने से
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हम चाहेंगे ही नही तुम्हें दिल से निकालना
क्योकि याद करके तुम्हें भूल नही सकते।
और
भूलने कि कोशिश ने ही,
तुम्हारी याद बहोत दिला दी

नीता कोटेचा

Saturday, December 8, 2007

खवाब
आज अचानक खवाब आए हुए थे तुम
नज़रों के सामने ही बैठे हुवे थे तुम
क्या हुवा जो अचानक छु लिया तुम्हें
आख खुल गई हमारी
क्यों नाराज हुवे थे तुम...


नीता कोटेचा